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मीडिया का इतिहास अतयंत प्राचीन है इसके इतिहास और विकास की जड़ें अतीत के गर्त में छिपी है।वैसे पत्रकारिता के इतिहास को किसी निश्चित अवधि में कैद नहीं किया जा सकता फिर भी जो कुछ प्रमाण उपलब्ध है उसी आधार पर पत्रकारिता के इतिहास का अवलोकन कर सकते हैं।हिंदी पत्रकारिता के उदभव का श्रेय "उदन्त मार्तण्ड"को जाता है।यह हिंदी का प्रथम साप्ताहिक पत्र था।इसके सम्पादक पंडित जुगल किशोर थे।ऐसा माना जाता है कि यह पत्र प्रथम बार 30 मई 1826 को प्रकाशित हुआ था।इसके मुख्य पृष्ठ
इसके बारे में और पढ़े...मैं मेहनतकश हूँ मैं कभी हार नहीं मानता, मैं अपनी मेहनत का ही खाता था।कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने आज एक मेहनतकश को हाथ फैलाने पर मजबूर कर दिया।मैने कभी नहीं सोचा था कि मेरे जीवन में ऐसा क्षण भी आएगा जब मै अपनो के ही बीच बेगाना बनकर रह जाउंगा,मैं भूखा रहकर अपनी मंजिल तय करूंगा, मैं तो वह था जो पत्थर को तोड़कर रोटी निकाल लेता था, मैंने बचपन से ही मेहनत करना सीख लिया था, जिस प्रकार लोग अपने बच्चों को अपना व्यापार सिखाते हैं उसी प्रकार मैंने भी मजदूरी करना सीख लिया
इसके बारे में और पढ़े...भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पाक अधिकृत कश्मीर पर जब भारत की सेना जीत रही थी तो युद्धविराम क्यों किया,असमय युद्धविराम करने की क्या मजबूरी थी,यूएन में जाने का निर्णय भी नेहरू का व्यक्तिगत था और मेरी समझ से यह हिमालय से भी बड़ी गलती थी ये दो देशों के बीच का मामला था चार्टर का सेलेक्शन भी गलत था।जवाहरलाल नेहरू कश्मीर मामले को यूएन में लेकर क्यों गए,उस समय राजनैतिक माहौल कैसा था और किसका पलड़ा भारी था,ये जानने के लिए इतिहास के पन्ने खंगालने होंग
इसके बारे में और पढ़े...पिछले बर्ष एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि भारत में 73%धन संपदा 1%लोगों के पास है जबकि 27%धन संपदा पर पूरा भारत निर्भर है।1947 में जब देश आजाद हुआ था तभी से भारत में भृष्टाचार की नींव पड़ गई थी,जब आजाद में पहला जीप घोटाला 1948 में हुआ था।उस घोटाले का आरोप प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु पर लगा था,हालांकि देश में घोटालों का रिकार्ड कांग्रेस के अकेले नाम नहीं है इसमें हर छोटे से बडे नेताओं के नाम भी है जिसमें चाहे वह लालू यादव का परिवार हो या मुलायम सिंह अथवा मायावत
इसके बारे में और पढ़े...2019 लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे राजनीतिक दल अपनी-अपनी गोटियां फिट करने में लग गए हैं।कहीं गठबंधन हो रहा है तो कहीं अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी चल रही है।2019 का चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होता जा रहा है।एक दूसरे के धुर विरोधी आज एक मंच पर दिखाई दे रहे हैं।पिछले चुनावों में जो दल एक दूसरे को पानी पीकर कोस रहे थे वह आज लघुटिया यार बनकर गलबहियां डाले घूम रहे हैं।अब यूपी में ही देखिए 2006मे सपा सरकार के बिरुद्ध आग उगलने वाली मायावती को अब सपा अच्छी लगने लगी,
इसके बारे में और पढ़े...समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन में शामिल न होने के बाद कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश के लिए अपनी अलग रणनीति बनानी शुरू कर दी है। गुलाम नबी आजाद ने यह कहा कि पार्टी राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरी शक्ति से अपनी विचारधारा का पालन करते हुए लोकसभा चुनाव लड़ेगी और भारतीय जनता पार्टी को पराजित करेगी। तो इससे दो रणनीतियां नजर आती हैं।पहली कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपने पैरों पर खड़ी होना चाह रही है।दूसरा.वह भाजपा के उस जनाधार
इसके बारे में और पढ़े...विष्णु पाण्डेय✍ आज लोग कहते हैं कि राम मंदिर पर सियासत हो रही है।इसमे कोई नई बात नहीं है।यह सियासत तो १९८६ से ही प्रारंभ हो गई थी जब राम मंदिर का ताला खोला गया था।हां यह अलग बात थी कि इसे बाद में बीजेपी ने अपने कब्जे में ले लिया।और तब से आज तक वह इसका फायदा उठा रही है।लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि भगवान राम बाकई में चुनाव जिताऊ बन कर रह गए हैं।लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है राम मंदिर पर सियासत तेज होती जा रही है।भृष्टाचार,विकास,जैसे मुद्दे नजर नहीं आ रहे है
इसके बारे में और पढ़े...मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्थित देश के प्रसिद्ध किलों में से एक ग्वालियर किले का निर्माण 8वीं शताब्दी में किया गया था, यह किला मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूनों में से एक है यह किला ग्वालियर शहर का प्रमुख स्मारक है जो गोपांचल नामक छोटी पहाड़ी पर स्थित है।लाल बलुए पत्थर से निर्मित यह किला देश के सबसे बड़े किले में से एक है।इतिहास के आंकड़ों की मानें तो इस किले का निर्माण सन 727 ईस्वी में सूर्यसेन ने किया। इस किले पर कई राजपूत राजाओं ने राज किया है किले की
इसके बारे में और पढ़े...अमरीका में महात्मा गांधी का हस्तलिखित एक ख़त बिक्री के लिए रखा गया है।6 अप्रैल1926 के हस्ताक्षर के साथ यह चिट्ठी महात्मा गांधी ने अमेरिका के धार्मिक नेता मिल्टन न्यूबैरी फ्रांज को लिखी थी।इस ख़त में गांधी ने लिखा था कि ईसा मसीह मानवता के महानतम शिक्षकों में से एक हैं।यह ख़त दशकों से निजी संकलन का हिस्सा रहा है।अब इसे राब कलेक्शन 50 हज़ार डॉलर की क़ीमत पर नीलाम कर रही है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता मोहनदास करमचंद गांधी को भारत में लोग प्यार और सम्मान से
इसके बारे में और पढ़े...सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित यह कविता हम सभी ने बचपन मे पढ़ी होगी,जिसमें रानी लक्ष्मीबाई की वीर गाथा का वर्णन किया गया है,19 नवंबर 1835 मे रानी लक्ष्मीबाई का जन्म कराडे ब्राह्म्ण परिवार में हुआ था। जन्म के बाद इनका नाम मणिकर्णिका रखा गया,जोकि शादी के बाद बदलकर रानी लक्ष्मी बाई हो गया।4 साल की उम्र में इनकी मां भागीरथी का निधन हो गया। इसके बाद वह अपने पिता मोरोपंत के साथ बाजीराव पेशवा के यहां बिठूर आ गईं। साल 1842 में रानी की शादी झांसी के राजा गंगाधर राव से हुई
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